हिमाचल प्रदेश में राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना: एक कदम प्राकृतिक खेती की ओर

राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना हिमाचल प्रदेश सरकार की एक अनूठी पहल है जो राज्य के किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह योजना 2024-25 के बजट में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा घोषित की गई थी। इसका उद्देश्य खेती में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और पर्यावरण की सुरक्षा हो।

योजना का उद्देश्य और लाभ

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन

यह योजना रासायनिक खेती की बजाय प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देती है, जिसमें जैविक खाद और गोबर खाद का उपयोग किया जाता है। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि मृदा और जल का संरक्षण भी होगा।

किसानों की आय में वृद्धि

योजना के तहत, सरकार प्राकृतिक तरीके से उगाई गई फसलों जैसे गेहूं और मक्की को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेगी। गेहूं के लिए ₹40 और मक्की के लिए ₹30 प्रति किलोग्राम MSP तय किया गया है, जो देश में सबसे अधिक है। इससे किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।

स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार

यह योजना युवाओं को कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करती है। इससे बेरोजगारी कम करने में मदद मिलेगी।

योजना की मुख्य विशेषताएं

  1. पंचायत स्तर पर चयन
    योजना के पहले चरण में, हर पंचायत से 10 किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस प्रकार कुल 36,000 किसानों को इस योजना से जोड़ा जाएगा।
  2. चरणबद्ध कार्यान्वयन
    योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है, जिससे किसानों को प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन प्रदान किए जा सकें।
  3. प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री
    प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री के लिए 10 विशेष मंडियों की स्थापना की गई है, जिससे किसानों को बाजार तक सीधी पहुंच मिलेगी।
  4. वित्तीय सहायता
    योजना के तहत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए ₹150 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है।
  5. फसल उत्पादन की गारंटी
    योजना के तहत, जो किसान प्राकृतिक खेती के नियमों का पालन करेंगे, उनसे प्रति परिवार अधिकतम 20 क्विंटल अनाज सरकार खरीदेगी।

कौन उठा सकता है योजना का लाभ?

  1. योजना का लाभ केवल हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी ही उठा सकते हैं।
  2. लाभार्थी किसान को सक्रिय रूप से खेती में संलग्न होना चाहिए और उसके पास 0.5 हेक्टेयर या अधिक भूमि होनी चाहिए।
  3. जैविक उर्वरकों और प्राकृतिक पद्धतियों का पालन करना अनिवार्य है।

योजना की सफलता और प्रभाव

  • वर्तमान में, हिमाचल प्रदेश में 1.78 लाख से अधिक किसान और बागवान परिवार प्राकृतिक खेती के साथ जुड़े हैं।
  • लगभग 24,210 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है।
  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में 37,087 किसानों को लाभान्वित किया गया और 13,176 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के अधीन लाया गया।
  • यह योजना राज्य की खाद्य सुरक्षा और किसानों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रही है।

योजना के लिए आवेदन कैसे करें?

  1. ऑनलाइन आवेदन
    इच्छुक किसान हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
  2. आवश्यक दस्तावेज़
    • पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, वोटर आईडी)
    • भूमि स्वामित्व दस्तावेज
    • किसान पंजीकरण प्रमाणपत्र
  3. ऑफलाइन प्रक्रिया
    ग्राम पंचायत के माध्यम से भी आवेदन स्वीकार किए जा सकते हैं।

चुनौतियां और समाधान

चुनौतियां

  • किसानों को जैविक खेती की तकनीकों में प्रशिक्षित करना।
  • प्राकृतिक उत्पादों के लिए बाजार की मांग सुनिश्चित करना।

समाधान

  • व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान।
  • प्राकृतिक उत्पादों की ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल उनकी आय को बढ़ाएगी बल्कि पर्यावरण की रक्षा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए टिकाऊ खेती की नींव भी रखेगी। जैविक खेती में बढ़ते रुझान के साथ, यह योजना हिमाचल को देश के अग्रणी जैविक कृषि राज्य के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखती है।

हिमाचल प्रदेश में राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना: एक कदम प्राकृतिक खेती की ओर

Note : Image Created By Ai

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